Jitiya vrat 2024: संतान की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए माताओं का कठिन तप
जीतिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत भारतीय परंपरा का एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है, जिसे माताएं अपनी संतानों की लंबी उम्र, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए करती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर भारत, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। Jitiya vrat 2024 में 6 अक्टूबर को पड़ रहा है, और इस दिन माताएं कठोर तप करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं, जिसमें वे बिना जल और भोजन के रहती हैं। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है, जिसमें पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन निर्जला उपवास, और तीसरे दिन व्रत का पारण होता है।
In the Article:
जीतिया व्रत का महत्व
जीतिया व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। इस व्रत की कथा और परंपराएं बताती हैं कि जीमूतवाहन, जो कि एक पौराणिक चरित्र हैं, ने अपनी त्याग और धर्मपालन की भावना से इस व्रत को विशेष बनाया। जीमूतवाहन ने एक गरुड़ से सांपों को बचाने के लिए खुद को बलिदान कर दिया था। उनकी इस त्याग भावना के कारण माताएं इस व्रत को करती हैं, ताकि उनकी संतानों को हर संकट से बचाया जा सके और उन्हें लंबी उम्र मिले।
जीतिया व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह माताओं की अपने बच्चों के प्रति प्रेम, त्याग और समर्पण की भी प्रतीक है। इस व्रत को करने से यह माना जाता है कि मां की संतान को दीर्घायु, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
Also Read: Hartalika Teej 2024: व्रत विधि, पूजा मुहूर्त और क्या करें, क्या न करें Best Time
Jitiya vrat 2024 की पूजा विधि
जीतिया व्रत की पूजा विधि अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे पूरी श्रद्धा के साथ करना आवश्यक है। व्रत से एक दिन पहले नहाय-खाय का आयोजन होता है, जिसमें महिलाएं स्नान कर शुद्ध भोजन करती हैं। अगले दिन, वे निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका पालन पूरी कठोरता से किया जाता है। इस दिन जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। इसके साथ ही माताएं जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और उनसे अपनी संतानों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।
व्रत का पारण तीसरे दिन किया जाता है, जब सूर्योदय के बाद महिलाएं उपवास तोड़ती हैं और अपने परिवार के साथ भोजन ग्रहण करती हैं। पारण के समय महिलाएं धूप-दीप जलाकर और विशेष प्रकार के प्रसाद का भोग लगाकर पूजा संपन्न करती हैं।
जीतिया व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त 2024
- जीतिया व्रत तिथि: 6 अक्टूबर 2024
- व्रत की शुरुआत: 5 अक्टूबर को रात में
- व्रत का पारण: 7 अक्टूबर की सुबह
- शुभ मुहूर्त: प्रातः काल सूर्योदय के बाद
ध्यान देने योग्य बातें
- निर्जला व्रत करने से शरीर पर मानसिक और शारीरिक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए व्रत रखने से पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
- इस व्रत को करने से संतान को सुख, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, इसलिए इसे पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए।
- व्रत के दौरान जीमूतवाहन की कथा और आराधना का विशेष महत्व है, जिसे सुनने और समझने से व्रत की महिमा और भी बढ़ जाती है।
समाप्ति
जीतिया व्रत एक ऐसी परंपरा है, जो भारतीय संस्कृति की मातृत्व के प्रति आदर और बच्चों के प्रति ममता को दर्शाती है। यह व्रत एक विशेष संदेश देता है कि संतान की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए मां कुछ भी कर सकती है। जैसे की ऊपर दिए गए कथा मे बताया गया है। एक मा ही होती है जो हमे हर मुश्किलों से सामना करना सिखाती है। Jitiya vrat 2024 में भी, माताएं इसी आस्था और विश्वास के साथ अपनी संतानों के लिए यह कठोर तप करेंगी, और उन्हें भगवान से जीवन का हर सुख प्राप्त हो।
External Links: Jitiya – Wikipedia